Book Title: Vinaychandra kruti Kusumanjali
Author(s): Bhanvarlal Nahta
Publisher: Sadul Rajasthani Research Institute Bikaner

Previous | Next

Page 278
________________ कठिन शब्दकोष अ अकरार=अशक्ति अकज=निकम्मा, अकार्य अकीकी-लालरंग का पत्थर अक्खरा-अक्षर अखियात अक्षय, आख्यात, आख्यान, कहावत अगल-डगल-अंटसंट अछइ, अछउ है, हो अछीप-अस्पृष्ट अजेस आज भी अटिल-अटल अड़कै भिड़ते हैं अड़-आठ अढारह-अठारह अणख=इर्ष्या, नहीं सुहाना अणदीठी-बिना देखी अणियाला तीखा अथाग=अथाह अदत्तादान-चोरी अनड़-स्वाभिमानी, अनम्र अनुयोग=जोड़ना अनेरी दूसरी अपछर-अप्सरा अपजात-हीन जाति अबीह भयरहित अभ्भटे आभिड़े अभिग्रह-नियम अम=हम अमी-अमृत अमरष=अमर्ष, खेद, प्रचण्ड अमीना हमें अमोलख-अमूल्य अम्हाणी-हमारी अयाण अज्ञान अरइ-आरामें (कालचक्र-६ आरे) अरियण=अरिजन, शत्रु अलजउ-हंस अलवेसर-प्रभु, प्रियतम अलजो=उत्कट अभिलाषा अलूझियो-उलझ गया अलवि-सहज अवगाह ब्याप्त, डुबकी लगाना, __लीन होना अवदात-शुभ, सुन्दर यश अवचल-अविचल, निश्चल अवधारो स्वीकार करो अवर-अपर, और, दूसरे। Jain Educationa International For Personal and Private Use Only www.jainelibrary.org

Loading...

Page Navigation
1 ... 276 277 278 279 280 281 282 283 284 285 286 287 288 289 290 291 292 293 294 295 296