Book Title: Vinaychandra kruti Kusumanjali
Author(s): Bhanvarlal Nahta
Publisher: Sadul Rajasthani Research Institute Bikaner
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काढूँ=निकालूं
खमिजे क्षमा करना काण-लिहाज, कायदा, इज्जत खरउन्सत्य कारिमउ-व्यर्थ
खाटइभोगता है कारिज कार्य
खाणी-खान कासल-कश्मल, पाप
खातर खाता बही किंपाक-एक विष परिणामी मधुर | खांतइ-क्षांतिपूर्वक
फल | खामीत्रुटि किम कैसे
खिजमति-सेवा किराड़े-किनारे
खिण-क्षण किसी-कौन सी
खिसइ हटता है कीकी आँख की पुतली
खीणउ-क्षीण कुढना भीतर ही भीतर जलना खुंद अपराध कुण-कौन
खूटि (गयो)=समाप्त ( हो गया) कूकइ-चिल्लाते, पुकारते है खेड़-हांक कर, चला कर कूड़-झूठ, मिथ्या
खेह-धूलि कूरम अक्रूर
खोड़-त्रुटि केडइ-पीछे
खोली-प्रक्षालित कर केरीकी केलवि-प्रयत्न करके, खोज करके | गइन गगन केहना-किसके
गड़ां ओले केही कैसी
गणपिटक-द्वादशांगी कोड-उत्कण्ठा
गंभारे गर्मगृह कोतिल-सजावटी (घोड़े) गमइ-सुहाना कोर-कोने में
गमा भेद
गरूआ-बड़े खमणाक्षपणक, दिगम्बर गलगलिगद्गद् खमात-सहन होना
गवाणी-गायी गई
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