Book Title: Vinaychandra kruti Kusumanjali
Author(s): Bhanvarlal Nahta
Publisher: Sadul Rajasthani Research Institute Bikaner
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पड़हो = पटह पढ़िवत्ति प्रतिपत्ति
पडिलाभ्या = प्रतिलाभ्या, साधुओं को दान दिया
पडूर=प्रचुर पणयालीस = पैतालीस पणि, पिण=भी
पतगरयौ = प्रतीति प्राप्त पतिया = विश्वास दिलावे
पती = विश्वास करै
पंथीडा = पथिक
पन्नता = प्ररूपित, कथित
पयंपइ=कहता है
पर्यवा= पर्याय
परइ = जैसी, तरह, भांति
परखियइ = परीक्षा करें
परचावे = बहलाता है।
परणी = विवाहिता
परगडउ = प्रगट
परिघल=प्रचुर, बहुत परिख= लो, परखो
परीयछ = पड़दा
परित्त=असंख्य
परूवणा = प्ररूपणा
पलाद = मांसभोजी, राक्षस
पहुतो = पहुँचा पाउड़ीए = सीड़िएँ, पगथिए
[ २२४ ]
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पाउधारउ = पधारो पाउले=चरणों में
पाखइ = बिना पाखती = ओर, निकट पाचहीरा, रत्न
पाज = पद्या, सेतु
पाड-एहसान
पांतरे = अन्तर
पांति=पंक्ति, जातपांत पादपोपगमन = एक विशेष प्रकार
का अनशन
पाघरो-सीधा
पापड्या = पाले पड़े, धक्के चढ़े..
पामीयइ = प्राप्त करें
पामी करी = पाकर
पारेवो= कबूतर
पारिखो= परीक्षा
पालोकड़=पालतू
पासत्था = शिथिल आचारी.
पाहण= पाषाण, पत्थर
पिचरकी = पिचकारी
पीठ = पैठ
पीधी-पान की
पीलण = पीलना
पूठा = पीछा
पूठली = पिछली पूरउ=पूर्ण
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