Book Title: Vinaychandra kruti Kusumanjali
Author(s): Bhanvarlal Nahta
Publisher: Sadul Rajasthani Research Institute Bikaner

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Page 295
________________ सेजडी = शय्या सेजवाला वाहन विशेष सेभ = शय्या में सेलडी - ईख सेहरो=शेखर, मुकुट सोगी = शोकीले, दुख्खी सोढोर, साथी, नायक ( राजपूतों की एक जाति ) सोरंभ=सौरभ, सुगन्ध सोवन= स्वर्ण सोस = सोच सोहग= सौभाग्य सोहन = शोभन सोह= शोभा [ २३२ ] ह हलवे हलवे = धीरे-धीरे हंसलउ = हंस हाथ मुकावण=हथलेवा छुड़ाना Jain Educationa International हाथ मेला - हस्त मेलापक हाम= स्वीकृति, हैंकारा हिलोल्यउ = आन्दोलित हिंडोलणा= हिडोला, झूला हित्यउ = हितेषी हिब अब हिवणा=अब ही उ-हीन ीणों-रहीत ही चिता भूलते हुए हीर = हीरा हीडा = हृदय ही संत हर्षित होता है हू स=उमंग हुतउ, हतउ=था प्रेम, स्नेह हेजालू = प्रेमी ठ-नीची हेल इ = सहज For Personal and Private Use Only www.jainelibrary.org

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