Book Title: Vinaychandra kruti Kusumanjali
Author(s): Bhanvarlal Nahta
Publisher: Sadul Rajasthani Research Institute Bikaner

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Page 283
________________ छोरी लड़की छोरू-लड़का [ २२० । जेर-परास्त, निर्जित जोगता योग्य, योग्यता जोड़इ-समकक्ष जोतरीयां जोड़े गए जोसीयडो-ज्योतिषी जोय-देखना जोवइ-देखता है जइयै-जब जड़ी-मिली जमवारो-भव, जन्म जमवारइ जन्म भर जलहर-जलधर, मेघ जसथंभ-कीर्ति स्तम्भ जाइगा-जगह जागरिका-जागरण जाजरो-जर्जर जाणपन-ज्ञान जाति-जन्म से जाम-जहांतक जाया-जन्मे जपै बोले जात-यात्रा जास्यौ-जाओगे जीत्या-जीते जीमणीन्दाहिनी जीवाडिस्युं जिला दूंगा जूअउ-जुदा जेत-जीत, विजय जेम-जैसे जेहवी-जैसी जैत-जय-जीत झकझोल-झकझोरना, झीलना झखैबकता है झखि झखि-घिस घिसकर झबूक-चमकै झाकझमाल तेज, जगमगाहट झाडो-मंत्र फूक झाली-पकड़ कर झाले पकड़े झील्या-स्नान किया झूलइ-झूलते हैं झूली-डोलना, मंडराना झूझ-युद्ध ट टलवले-उत्सुक, व्याकुल टाढई-शीत से टाढी-शीतल टामक ढोल टालउ दूर करना, टालना टाणे अवसर पर Jain Educationa International For Personal and Private Use Only www.jainelibrary.org

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