Book Title: Vinaychandra kruti Kusumanjali
Author(s): Bhanvarlal Nahta
Publisher: Sadul Rajasthani Research Institute Bikaner

View full book text
Previous | Next

Page 277
________________ सीयाला हे भलइ आवीयौ मेरी बहिनी कहि काई अचरिज बात हा चन्द्रवदनी हा मृगलोयण हा गोरी गज गेल fasa भार घणौ छै राजि ( २१४ ) कागलीयो करतार भणी सी परि लिखूं रे पधारो पाटोघर पाटी कंकणा नी दस तो दिहाडा मोने छोड़ रे जोरावर हाडा आवउ गरबे रमीये रूड़ा राम सु रे दल बादल बूढा हो नदीयां नीर चल्या नागा किसन पुरी मुंगफली सी वांरी आंगुली हस्तीतो चढिज्यो हाडा राव कुमकुम माहरा बालमा लटको थारो लोहणी रे राजा जो मिले हो संग्राम राम नै रावण मंडाणो ओलगड़ी तंबोलणि नी होलाई बांभणी Jain Educationa International For Personal and Private Use Only १३६ १४१ १४६ १५१ १५५ १५७ १६४ १६६ १६८ १७२ १७४ १७६ १८४ १६० १६२ १६६ १६६ २०१ २०४ www.jainelibrary.org

Loading...

Page Navigation
1 ... 275 276 277 278 279 280 281 282 283 284 285 286 287 288 289 290 291 292 293 294 295 296