Book Title: Vinaychandra kruti Kusumanjali
Author(s): Bhanvarlal Nahta
Publisher: Sadul Rajasthani Research Institute Bikaner
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श्री नेमिनाथ सोहला
राग-खंभाइती सोहलौ नेमिकुंवर वर वींद विराजै, यादव यानी केसरीया। असीय सहस सेजवाला साथे, मंगल मुख गावै गोरीयां ॥१॥ यदुनाथ चढे गज रथ तुरीयां । आंकणी। ऐरापति सम अंग सुचंगा, सोवन मैं साकति जरीयां । अंग प्रचंड महाबल मँगल, गात बड़ा सोहै गिरीयां ॥२॥यदु०॥ गत तरंग चपल गति चंचल, खेत खरा करता खुरीयां । अश्व अनोपम ऊँचा सोहै, हीस करै हयवर हरीयां ॥३॥यदु०॥ पवन वेग चालंता साथे, धवला धोरी जोतरीयां । असीय हजार सुखासन आगे, जरकस में चालै जरीयां॥४॥यदु०॥ छप्पन कोड़ कुंवर मद माता, सारंग हाथ लेई सरीयां । बजा सहज अड़तालीस बाजै, फरहरता नेजा धरीयां । पायक कोड़ि पंचाणू आग, नोबति बाजै घूघरीयां ॥शायदु०॥ अपछर सरिखी राजुल रंभा, गोखि चढ़ी जोवै गोरीयां। अभिनव इंद्र विराजे प्रभुजी,सरिखी जोड़ी भल मिलीयांपायदु। राजिमती तन देव विभूषण, खलकै कंकण कर चूरीयां। तोरण तें प्रभु फेरि सिधारे, विनयचंद्र मुगते मिलियां ॥७॥ यदु०॥
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