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उसका ब्याह जमाली नामक राजपुत्र के साथ हुआ। जमाली महावीर स्वामी की बहन सुदर्शना का पुत्र था।
दीक्षा :
जब वर्द्धमान स्वामी की आयु २८ बरस की हुई तब उनके मातापिता आयु पूर्ण कर के अच्युत देवलोक में गये। 1 महावीर स्वामी के बड़े भाई नंदिवर्द्धन राज्यगद्दी पर बैठे ।
कुछ दिनों के बाद महावीर स्वामी ने अपने बड़े भाई नंदिवर्द्धन से दीक्षा लेने की आज्ञा मांगी। भाई ने दुःख से कहा - 'बंधु ! अभी मातापिता के वियोग का दुःख भी नहीं मिटा है, फिर तुम वियोग-दुःख देने की बात क्यों करते हो?'
प्रभु ने ज्येष्ठ बंधु की बात मानकर और थोड़े दिन घर पर ही रहना स्थिर किया। घर पर वे भावयति होकर संयम से समय बिलाने लगे।
एक वर्ष के बाद लोकांतिक देवों की प्रार्थना से वरसी दान देकर महावीर स्वामी ने दीक्षा लेने की तैयारी की। नंदिवर्द्धन ने ५० धनुष लंबी, ३६ धनुष लंबी, ३६ धनुष ऊंची और २५ धनुष चौड़ी चंद्रप्रभा नाम की एक पालखी तैयार करायी। प्रभु उसमें विराजमान हुए और इंद्रादि देव उसे उठाकर 'ज्ञातखंड' नाम के उपवन में ले गये।
प्रभु ने पालखी से उतर कर वस्त्राभूषणों का त्याग किया। इंद्र ने उनके कंधे पर देवदूष्य वस्त्र डाला। प्रभु ने पंच मुष्टि लोचकर सिद्धों को नमस्कार किया। मार्गशीर्ष कृष्णा दशमी के दिन चंद्र जब हस्तोत्तरा नक्षत्र में आया था तब चारित्र ग्रहण किया। उसी समय प्रभु को मनः पर्यवज्ञान उत्पन्न हुआ।
जिस समय महावीर स्वामी ने दीक्षा ग्रहण की उस समय उनकी उम्र ३० वर्ष की हो चुकी थी ।
1. सिद्धार्थ की आयु ८७ और त्रिशलादेवी की ८५, नंदीवर्द्धन की ९८, यशोदादेवी की ९०, सुदर्शना की ८५, प्रियद्रशना की ८५ वर्ष की थी। (म. च. पृ. २०८ )
: श्री महावीर चरित्र : 212 :