Book Title: Tirthankar Charitra
Author(s): Jayanandvijay
Publisher: Ramchandra Prakashan Samiti

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Page 360
________________ (1) फ्रिज पदार्थ के सत्त्व को नष्ट कर देता है / डॉक्टर का मुंह देखना हो तो फ्रीज का पदार्थ उपयोग में ले / (2) मोबाईल और कम्प्युटर देश की सेवा नहीं परदेश की सेवा कर रहे हैं। (3) माता-पिता अपने बच्चों को बिनजरूरी ट्युशनों से बचाने का ख्याल रखें। (4) अंग्रेजी माध्यम के पूर्व, धर्म का माध्यम अपनी संतोनों को समझावें / (5) आप अपने गुरुजनों की सेवा का आदर्श अपनी संतानों को बतायें / कहकर नहीं, करके / (6) टी.वी. पाप वर्द्धक है / पाप एकान्त में होता है / अतः टी.वी. घर से न निकाल सको तो कम से कम खुल्ले में तो न रखों / घर पर आने वाले साधु साध्वियों को उसके दर्शन न करवाओ। (7) प्रवेश द्वार पर भूमि पर वेल कम लिखवाकर ज्ञान की आशातना करते हो इससे बचना आवश्यक है / (8) संसार में रहकर धर्म करने की बात, दीक्षा की प्रतिपालना में अशक्त व्यक्तियों के लिए योग्य है पर जो दीक्षा की प्रतिपालना करने में सक्षम है वे ऐसी बात करे यह अपने आप से विश्वासघात है। (9) आपकी संतान नौवी क्लास में पढ़ने गयी तो अब उसकी निगरानी अवश्य रखों / संतान की निगरानी आपके और संतान के जीवन के लिए अति आवश्यक है / Mesco Prints : 080-22380470

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