Book Title: Tirthankar Charitra
Author(s): Jayanandvijay
Publisher: Ramchandra Prakashan Samiti

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Page 358
________________ २-६-१०-१४-१८ वीश विहरमान भगवंत पुष्कलावती विजय और पुंडरीकिनी नगरी में १-५-६-१३-१७ वे जिन, वप्रविजय विजयानगरी में वे जिन, वत्सविजय सुसीमा नगरी में ३-७-११-१५ - १८ वे जिन तथा नलिनावती विजय, वीतशोका नगरी में ४-८-१२-१६- २० वे विहरमान जिन जानना । सभी का शरीर वर्ण समान, आयु ८४ लाख पूर्व, शरीरमान ५०० धनुष केवलज्ञानी की संख्या १० लाख मतांतर से २ क्रोड सामान्यमुनिवरों की संख्या १०० क्रोड मतांतर से २००० कोड की सभी को समान समझना। वहां बत्तीस मुंडा का एक कवल ऐसें ३२ कवल का आहार यानि १०२४ मूंडा का आहार एक समय का है। मुनि के मुख का माप उत्सेध अंगुल से ५० हाथ का, पात्रे का तलिया १७ धनुष लंबा । एक मुखवस्त्रिका की अपने यहां की १ लाख साठ हजार मुहपत्तियाँ होती है। यहां से ४०० गुनी लंबी ४०० गुनी चौड़ी होने से यह माप आता है। - पंचशप्ततीस्थान चतुष्पदी पेज ६६ शासन में १ ऋषभदेव ३ | सुविधिनाथ ५ श्रेयांसनाथ ७ विमलनाथ ६ धर्मजिन महावीर प्रभु 99 हुए है। रुद्रनाम भीमावली रुद्र रुद्र ११ सुप्रतिष्ठ पुंडरीक अजितनाभ सत्यकी शासन २ अजितनाथ ४ शीतलनाथ ६ वासुपूज्य अनंतनाथ ८ १० शांतिजिन रुद्रनाम जितशत्रु विश्वानल : श्री तीर्थंकर चरित्र : 345 : अचल अजितधर पेढाल ये ग्यारह मुनि निरतिचार संयमधर घोर तपस्वी एकादशांगधारी

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