Book Title: Tirthankar Charitra
Author(s): Jayanandvijay
Publisher: Ramchandra Prakashan Samiti

View full book text
Previous | Next

Page 357
________________ नव प्रतिवासुदेव १ अश्वग्रीव, २ तारक, ३ मेरक, ४ मधुकैटभ, ५ निशम्भ, ६ . बलि, ७ प्रह्लाद, ८ रावण, ६ जरासंघ ये नौ प्रतिवासुदेव हुए है। इनको इनके ही चक्र से वासुदेव मारते हैं और वे राज्य के अधिपति बनते हैं। ये प्रतिवासुदेव भी नियमानरक में जाते हैं। - c किंपुरुषा सुजात नागराज विहरमान जिन कोष्टक विहरमानजिन जनक | जननी | लंछन ___ स्त्री सीमंधर श्रेयांस | सत्यकी | वृषभ । रुक्मिणि युगमंधर सुदृढ़ सुतारा गज प्रियंगुदेवी बाहु . सुग्रीव विजया हरिण | मोहिनी सुबाहु निसढ़ भूनंदा मर्कट देवसेन देवसेना जयसेना स्वयंप्रम मित्रप्रभ | · सुमंगला | चन्द्र वीरसेना ऋषभानन कीर्ति वीरसेना जयावती अनंतवीर्य मेघ मंगलावती । | विजयावती सुरप्रम भद्रादेवी चन्द्र विमलादेवी विशाल विजय विजयावंती सूर्य नन्दसेना वज्रधर पद्मराज सरस्वती वृषम | विजयवती चंद्रानन वल्मीक पद्मावती लीलावती चन्द्रबाहु देवानंद रेणुकादेवी कमल सुगंधादेवी ईश्वर कुलसेन यशोज्ज्वला कमल भद्रावती भुंजग महाबल महिमादेवी चन्द्र गंधसेना नेमिप्रभ वीरसिंह सेनादेवी वीरसेन भूमिपाल भानुमती रायसेना महाभद्र देवराज उमादेवी सूरिकांता देवयशा सर्वभूति | गंगादेवी | चंद्र । पद्मावती २०| अजितवीर्य | राजपाल कनीनिका | सूर्य । रत्नमाला मोहिनी : तीर्थंकरों के संबंध की जानने योग्य जरूरी बातें : 344 :

Loading...

Page Navigation
1 ... 355 356 357 358 359 360