________________
दस श्रावक :. महावीर स्वामी के श्रावकों में से दस श्रावक मुख्य थे। वे महान समृद्धि शाली थे। भगवान के उपदेश से उन्होंने श्रावक व्रत अंगीकार किया था। उनके नाम और संक्षिप्त परिचय यहां दिया जाता है -
१. आनंद - यह वणिजक ग्राम का रहनेवाला था। इसके पास बारह __करोड़ स्वर्ण मुद्राएँ थीं। गायों के ४ गोकुल थे। २. कामदेव - यह चंपा नगरी का रहनेवाला था। इसके पास १८
करोड़ स्वर्ण मुद्राएँ थीं और गायों के ६ गोकुल थे। ३. चुलनी पिता - यह काशी का रहनेवाला था। इसके पास २४
करोड़ स्वर्ण मुद्राएँ थीं और ८० हजार गायों के ८ गोकुल थे। ४. सुरादेव - यह काशी का रहनेवाला था। इसके पास १८ करोड़
स्वर्णमुद्राएँ थीं और ६० हजार गायों के ६ गोकुल थे। ५. चुल्लशतक - यह आलसिकां नगरी का रहनेवाला था। इसके पास
१८ करोड़ स्वर्ण मुद्राएँ थीं और ६० हजार गायों के ६ गोकुल थे। ... ६. कुंडगोलिक - यह कांपिल्यपुर का रहनेवाला था। इसके पास १८
करोड़ स्वर्ण मुद्राएँ और ६० हजार गायों के ६ गोकुल थे। ७. शद्दालपुत्र - यह पौलाशपुर का रहनेवाला और जाति का कुम्हार अब चंडप्रद्योत की आंखें खुली; परंतु कोई उपाय नहीं था। वह शहर को घेर कर पड़ा रहा। कई महीने बीत गये। . भगवान महावीर विहार करते हुए कोशांबी में समोसरे। प्रभु का आगमन सुनकर मृगावती अपने परिवार सहित समवसरण में गयी। चंडप्रद्योत भी समवसरण में गया। प्रभु के दर्शन करके और उनकी देशना सुनकर उसके वैर और काम को शांत हो गये। मृगावती ने अवसर देख अपना पुत्र उदयन चंडप्रद्योत को सौंपा। और भगवान महावीर से दीक्षा ली। कोशांबी का नाश करने पर तुला हुआ चंडप्रद्योत, मृगावती की युक्ति से असफल हुआ और महावीर के प्रभाव से वैर भूलकर
कोशांबी का रक्षक बन गया। 1. एक गोकुल में १० हजार गायें रहती थीं।
: श्री महावीर चरित्र : 270 :