Book Title: Tiloypannatti Part 3
Author(s): Vrushabhacharya, Chetanprakash Patni
Publisher: Bharat Varshiya Digambar Jain Mahasabha
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गाथा : ३५ ] पचमो महायिारो
[११ स्वयम्भूरमणद्वीपका अभ्यन्तर सूची-ध्यास= ( ५६ + ३७५०० ) ४ (२) -३ लाख-.-२२५०७० । मध्यम सूची-व्यास = ( ५६+३७५०० )x(३)–३ लाख १८७५०० । बाह्य सूची-व्यास=( +३७५०० ) ४ ४)–३ लाख १५०००० ।
स्वयम्भूरमण समुद्रका अभ्यन्तर सूची-व्यास=( +७५.७०० )-(२)-३ लाख-१५०००० । मध्यम सूची-व्यास = (२+७५००० )x (३)-३ लाख ? - ७५००० । बाह्य सूची-व्यास= 2+७५००० }x (४)-३ लाख= या १ राज है।
विवक्षित द्वीप-समुद्रकी परिधिका प्रमाण
प्राप्त करनेकी विधि जंबू-परिहो-जुगलं, इच्छिय-दोयंबु-रासि-सूइ-हदं ।
जंधू-वास-विहत्त', इच्छिय-दवद्धि परिहि ति ॥३५ । मर्थ-जम्बूद्वीपके परिधि-युगल ( स्थूल और सूक्ष्म ) को अभीष्ट द्वीप एवं समद्र की ( बाह्य ) सूचीसे गुणा करके उसमें जम्बूद्वीपके विस्तारका भाग देनेपर इच्छित द्वीप तथा समद्रकी (स्थूल एवं सूक्ष्म ) परिधिका प्रमाण प्राप्त होता है ।।३।।
विशेषार्थ-जम्बूद्वीपको स्थूल-परिधि ३ लाख योजन और सूक्ष्म-परिधि ३१६२२७ योजन, ३ कोस, १२८ धनुष और साधिक १३३ अंगुल है। लवणसमुद्र, धातकीखण्ड और कालोद समुद्र विवक्षित समुद्र एवं द्वीपादि हैं ।
. जंबू. की परिधि ल. स. का बाह्य सूची व्यास
लवण म० को परिधि_जबू० की परिधि ल.स. कान
१०००००
लवण स० की स्थूल परिधि ३ लाख ४५ लाख
बस की स्थूल परिधि
१ लाख
-- १५ लाख योजन स्थूल परिधि । ...... _(३१६२२७ यो०, ३ कोस, १२८ ध०, १३३ अंगुल)४५ लाख
लवण स०
प०८'
=१५८११३८ यो० ३ कोस, ६४० धनुष, २ हाथ और १६॥ अंगुल लवणसमुद्रकी सूक्ष्म परिधिका प्रमाण है ।