Book Title: Tiloypannatti Part 3
Author(s): Vrushabhacharya, Chetanprakash Patni
Publisher: Bharat Varshiya Digambar Jain Mahasabha
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गाथा : २६७ ] पंचमी महाहियारो
[ ९९ इसी अधिकारकी गाथा २४४ के अनुसार
प्रायाम निकालनेकी विधि :-इच्छित क्षेत्रके विस्तारमेंसे एक लाख कम करके शेषको नौसे गुणा करने पर इच्छित द्वोप या समुद्रका आयाम होता है। तदनुसार लबरणसमुद्रका अायाम (२ लाख - १ लाख ) ४९= ९ लाख योजन है।
धातकीखण्डद्वीपका विस्तार ४ लाख योजन है और आयाम (४ लाख यो-१ लाख) ४९=२७ लाख योजन है।
___ कालोद समुद्र का विस्तार ८ लाख योजन है और आयाम ( लाख यो०-१ लाख)x९= ६३ लाख यो० है।
इसीप्रकार समुद्रसे द्वीपका और द्वीपसे समुद्रका विस्तार दुगुना तथा आयाम से पायाम दुगुना और ९ लाख बोजन अधिक होदर भूमणममुद्र पर चला जाता है। अधस्तन द्वीप या समुद्र के क्षेत्रफलसे उपरिम द्वीप या समुद्रका क्षेत्रफल चौगुना
तथा प्रक्षेप ७२००० करोड़ योजन हैलवणसमुदस्स खेतफलायो धादईसंडस्स खेत्तफलं छग्गुणं, धादईसंडदीवस्स खेतफलादो कालोदगसमुहस्स खेतफलं चउग्गुणं बाहरि-सहस्स-कोडि-जोयणेहि अमहियं होदि । खेत्तफलं ७२०००००००००० । एवं हेट्ठिम-दीवस्स वा गोररासिस्स वा खेत्तफलादो तवणंतरोबरिम-योवस्स वा रयणायरस्स वा खेसफलं चउम्गरण पक्खेवभवबाहत्तरि-सहस्स-कोडि-जोयणारिण दगुण-द्गुणं होऊण गच्छइ जाव सयंभूरमण-समुद्दो त्ति ॥
अर्म-लवरणसमुद्रके क्षेत्रफलसे धातकीखण्डका क्षेत्रफल छह-गुणा और धातकीखण्डद्वीपके क्षेत्रफलसे कालोदसमुद्रका क्षेत्रफल चौगुना एवं बहत्तर हजार करोड़ योजन अधिक है-७२०००००००००० । इसप्रकार अधस्तन द्वीप अथवा समुद्रके क्षेत्रफलसे तदनन्तर उपरिम द्वीप अथवा समद्र का क्षेत्रफल चौगुना और प्रक्षेपभूत बहत्तर हजार करोड़ योजन स्वयम्भूरमण समुद्र पर्यन्त दुगुने होते गये हैं।
विशेषार्थ-गा० २४३ के अनुसार जम्बूढीपका क्षेत्रफल ३ x ( ५०००० )" या ७५०००००००० वर्ग योजन है अतः अन्य द्वीप-समुद्रोंके क्षेत्रफलमें जम्बूद्वीप सदृश जो खण्ड हुए हैं उनमेंसे प्रत्येक खण्डका प्रमाण ७५० करोड़ वर्ग योजन है।
लवणसमद्रके क्षेत्रफलसे धातकीखण्डद्वीपका क्षेत्रफल ६ गुना अर्थात् ( लवण की खंडशलाकाएँ २४ हैं अतः ) २४४६=१४४ है। धातकीखण्डद्वीपके क्षेत्रफलसे कालोदक-समद्रका क्षेत्रफल ९६ से अधिक ४ गुना है । अर्थात् ६७२ = ( १४४४४)+९६ खण्डशलाकाएं हैं।