Book Title: Tiloypannatti Part 3
Author(s): Vrushabhacharya, Chetanprakash Patni
Publisher: Bharat Varshiya Digambar Jain Mahasabha
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१५२ ] तिलोयपपणती
[ माया : २८२ साधारण बादर पर्याप्त-अपर्याप्त राशिका प्रमाणपुणो साहारण-बादररासि तप्पाप्रोग्ग-असंखेज्जलोगेण खंडिदे तत्येग भागं साहारण-बादर-पज्जप्सरासि परिमारणं होदि १३ । सेस-बहुभाया साहारण-बावरअपज्जत्तरासि परिमाणं होदि १३८ ।
अर्थ-पुनः साधारण बादर वनस्पतिकायिक जोव राशिको अपने योग्य असख्यात लोकसे खण्डित करनेपर उसमेंसे एक भाग साधारण बादर पर्याप्त जीवोंका प्रमाण होता है और शेष बहुभाग साधारण बादर अपर्याप्त जीव राशिका प्रमाण होता है। विशेषार्थ- साधारण बादर पर्याप्त बन का जीवराशि=साधारण बादर वन० का जीव
असंख्यात लोक या १३८७ अर्थात् १३-3) प्रमाण है। साधारण बादर अपर्याप्त वन० का जीवराशि-सा. बादर वन० जीव - असं - १
असंख्यात अर्थात् ( १३३) प्रमाण है।
साधारण सूक्ष्म पर्याप्त-अपर्याप्त जीवोंका प्रमाण-- पुणो साहारण-सुहुमरासि तप्पानोग्ग-संखेज्ज-हवेहि खंडिय तत्थ बहुभाग साहारण-सुहम-पज्जत्त-परिमाणं होदि १३ । सेसेगभागं साहारण-सुहम-अपज्जत्तरासि-पमाणं होदि १३।।
अर्थ-पुनः साधारण सूक्ष्म वनस्पतिकायिक जीव राशिको अपने योग्य संख्यात रूपोंसे खण्डित करनेपर उसमेंसे बहुभाग साधारण सूक्ष्म पर्याप्त जीवोंका प्रमाण होता है और शेष एक भाग साधारण सूक्ष्म-अपर्याप्त जीवोंकी राशिका प्रमाण होता है। विशेषार्थ- साधारण सूक्ष्म धन० पर्याप्त जीव= सा० सूक्ष्म वनः जीव संख्यात -१
संख्यात = (१३ प्रमाण है । साधारण सूक्ष्म वन० अपर्याप्त जीवराशि = साधारण सूक्ष्म बन० जीव राशि
संख्यात अर्थात् ( १३-१३) प्रमाण है ।।
प्रत्येक शरीर वनस्पतिकायिक जीवोंके भेद-प्रभेद और उनका प्रमाण
पुणो पुवमणिद-असंखेन्जलोग-परिमाणरासी पत्तेयसरीर-वणफदि-जीवपरिमाणं होदि _ रि = रि॥