Book Title: Tiloypannatti Part 3
Author(s): Vrushabhacharya, Chetanprakash Patni
Publisher: Bharat Varshiya Digambar Jain Mahasabha
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तिलोय पण्णत्ती
[ गाथा : २७१
अर्थ – लवणसमुद्रके क्षे त्रफलसे कालोदकका क्षेत्रफल अट्ठाईस गुना और कालोदक - समुद्र के क्षेत्रफल से पुष्करवरसमुद्रका क्षेत्रफल सत्तरह गुना होकर तीन लाख साठ हजार करोड़ योजन अधिक है ३६००००००००००० । पुष्करवरसमुद्रके क्षेत्रफलसे वारुणीवरसमुद्रका क्षेत्रफल सोलहगुना होकर चौतीस लाख छप्पन हजार करोड़ योजन अधिक है ३४५६००००००००००१ यहाँसे आगे ग्रधस्तन समुद्रके क्षेत्रफलसे अनन्तर उपरिम समुद्रका क्षेत्रफल स्वयम्भूरमणसमुद्र पर्यन्त क्रमशः सोलह-गुना होने के प्रतिरिक्त प्रक्ष ेपभूत चौंतीस लाख छप्पन हजार करोड़ योजनोंसे भी चौगुना होता गया है ।
1 विशेषार्य - जम्बूद्वीपका क्ष ेत्रफल ३४ (५००००) वर्ग योजन है । जिसका मान १ खण्ड शलाका है। इसप्रकार लवणसमुद्रकी २४, कालोदककी ६७२, पुष्करवरसमुद्रकी ११९०४ और वारुणीवरसमुद्रको १९५०७२ खण्ड-शलाकाएँ हैं ।
लवर समुद्रके ( २४ खं० श० स्वरूप ) क्षेत्रफलसे कालोदक-समुद्रका क्षेत्रफल २८ गुना
। यथा
कालोदकका क्षेत्रफल ६७२ खं० श० प्रमाण- ( २४ खं० श० x २८ )
कालोदके क्षेत्रफलसे पुष्करवरसमुद्रका ( ११९०४ खण्डशलाका स्वरूप ) क्षेत्रफल १७ गुने से ३६४ (१०) ११ वर्ग योजन अधिक है । जो ११९०४ - ( ६७२४१७ ) = ४८० बं० श० प्रमाण है । यथा
११९०४=( ६७२ × १७ खं० ० ) + [ ४८० X ३ (५०००० ) ]
= ६७२ १७० श० ) + ४८०
७५०००००००० वर्ग यो० । == ६७२ × १७ खं० श० + ३६००००००००००० वर्ग योजन ।
पुष्करवर समुद्र के क्षेत्रफल से वाइपीवरसमुद्रका ( १९५०७२ खण्ड शलाका स्वरूप ) क्षेत्रफल १६ गुने से ३४५६४ (१०) १० वर्गयोजन अधिक है। जो १९५०७२ - ( ११९०४ १६) = ४६०८ खण्डशलाका प्रमाण है । यथा—
१९५०७२=(११९०४ १६ खं० श० ) + [४६०८४३ (५०००० ) * ]
= ( ११९०४×१६ बं० श० ) + ४६०८४७५०००००००० वर्ग यो० =११९०४ × १६ खं० श० + ३४५६०००००००००० वर्ग योजन ।
इससे आगे श्रधस्तन समुद्रके क्षेत्रफलसे उपरिम समुद्रका क्षेत्रफल अन्तिम समुद्र पर्यन्त क्रमशः १६ गुना होनेके अतिरिक्त प्रक्षेपभूत ३४५६४ (१०) १० वर्ग योजनोंसे भी चौगुना होता गया है । यथा
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