Book Title: Tiloypannatti Part 3
Author(s): Vrushabhacharya, Chetanprakash Patni
Publisher: Bharat Varshiya Digambar Jain Mahasabha
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गाथा : २५५ ] पंचमो महाहियारो
{ ७५ सबढीणं प्राणयणे माहा-सुत्तं--
इच्छिय-दीवे रु'दं, ति-गुणं दलिदूण तिण्णि-लमखूणं ।
ति लक्खूण-ति-गुण-वासे, सोहिय दलिदे हुवे बड्ढी ।।२५५।। प्रयं-इस वृद्धि प्रमाणको लानेके लिए यह माथा सूत्र है-- इच्छित द्वीपके तिमुने विस्तारको आधा करके उसमेंसे तीन लाख कम कर देनेपर जो शेष रहे उसे तीन लाख कम तिगुने विस्तारमेंसे घटाकर शेषको आधा करनेपर वृद्धिका प्रमाण होता है ।।
विशेषायं गायानुसार सूत्र इसप्रकार हैवणित वृद्धि=(३ ४ इष्ट द्वीपका व्यास--३०००००)-(३४ उसका विस्तार-३०००००)
उदाहरण-मानलो-इष्टद्वीप पुष्करवरद्वीप है । जिसका विस्तार १६ लाख योजन है।
उसको
वणित वृद्धि=(३४१६०००००-३०००००)--(३४ १६०००००-३०००००)
= ४५००००० - २१००००० = १२००००० योजन वृद्धि ।
इसीप्रकार अन्तिम विकल्पमें इष्टद्वीप स्वयम्भूरमण द्वीप है। जिसका विस्तार जगच्छ एणी + ७११९० योजन है । इसलिए उसकी वशित द्धि-[३४ (जग + ७५०')-३०००००] [३४३४ (जग०+५०००-३०००००
_३ (जग० +७५९००)-३००००० -- (जग०+५६०)+ ३०००००
Xx20
_ (जग+७५०००)
३ जग० । ३४७५०००३ राजू
+२८१२५ योजन । २x२x२४४४७ २x२x२