Book Title: Tiloypannatti Part 3
Author(s): Vrushabhacharya, Chetanprakash Patni
Publisher: Bharat Varshiya Digambar Jain Mahasabha
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गाया : ५५-५७ ] पंचमो महाहियारो
[ १७ __नन्दीश्वरद्वीपकी अभ्यन्तर और वाह्य-परिधिका प्रमाण। तिदय-पण-सत्त-दु-ख-दो-एक्कापछत्तिय-सुण्ण-एक्क-अंक-कमे। ओयणया गंदीसर - अभंतर - परिहि - परिमाणं ॥५५॥
१०३६१२०२५५३। बाहसार-जुद-दु-सहस्स-कोडो-सेत्तीस लक्ख-जोयणया। चउवण्ण-सहस्साई इगि-सय-गउदी य बाहिरे परिहो ॥५६।।
२०७२३३५४१९० । प्रर्थ-नन्दीश्वर द्वीप की अभ्यन्तर परिधिका प्रमाण अंक-क्रमसे तीन, पाच, सात, दो, शून्य, दो, एक, छह, तीन, शून्य और एक, इन अंकोंसे जो संख्या उत्पन्न हो उतने (१०३६१२०२७५३) योजन है ।। ५५ ।।
इसकी बाह्य परिधि दो हजार बहत्तर करोड़ तैतीस लाख च उवन हजार एक सौ नब्बे ( २०७२३३५४१६० ) योजन प्रमाण है ॥ ५६ ॥
विशेषार्थ-चतुर्थाधिकार गाथा ९ के नियमानुसार नन्दीश्वरद्वीपकी अभ्यन्तर, मध्यम और बाह्य परिधि इसप्रकार है
नन्दीश्वर द्वीपकी अभ्यन्तर परिधि (३२७६५०००००)२४१० = १०३६१२०२७५३ योजन, २ कोस, २३७ धनुष, ३ हाथ और साधिक १२ अंगुल प्रमाण है।
इसी द्वीपकी मध्यम परिधि-1( ४६१४९००००० )२x १० = १५५४२२७८४७१ योजन, ३ कोस. १६६२ धनुष, २ हाथ और साधिक ५ अंगुल प्रमाण है ।
इसी द्वीप की बाह्य परिधि=( ६५५३३००००० )२-१०-२०७२३३५४१९० यो १ कोस, १०५१ धनुष, २ हाथ और साधिक २ अंगुल प्रमाण है।
अंजनगिरि पर्वतोंका कथनगंदीसर बहुमझे, पुण्य - दिसाए हवेदि सेलवरो । अंजणगिरि विक्खायो, हिम्मल - वर - इंवणीलमत्रो ॥५७।।
१. द. ब, क. ज. कमो।