________________
भोडा भी परिचय नही है, वे, ऐसी अधूरी २ बातोंसे भ्रमित हो सकते हैं । खैर, अभी और आगे बढिये।
गजसुकुमाल, जिस समय प्रतिमासाधन करनेके लिये स्मशानभूमीमें गये हैं, उस समय, सोमलब्राह्मणने उनके सिरपर मिट्टीकी पाल बांधी और अंगारे भरे । यहाँपर नेमनाथ भगवान्को अनुकंपा करके साधुओंको भेजनेकी कोई आवश्यकता थी ही नहीं, यह बुद्धिमान् लोग स्वयं विचार सकते हैं । क्योंकि-नेमनाथभगवान् भाषीपदार्थों को अच्छी तरह जानते थे । जब वे स्वयं केवलज्ञानसे जानते थे कि-गजसुकुमाल, इसी निमितसे ध्यानमें आरूढ हो कर कोको क्षय करनेवाले हैं, तो फिर वे इस उपद्रवको निवारण करनेके लिये भेजें ही क्यों ? । ऐसी प्रवृत्ति तो हम लोगोंको करनेकी है कि, जिनको भविष्यमें क्या होगा, इसका ज्ञान नहीं है। इस लिये यह प्रसंग भी स्थानोचित नही है।
' भगवान् महावीर देवको अनेकों उपसर्ग हुए, उस समय कोई भी इन्द्र, अनुकंपा करके रक्षा करनेके लिये नहीं आया।' यह भी कहना ठीक नहीं है । भगवान् महावीर देव, संसारके समस्त जीवोंपर अनुकंपा करते थे । जिन्होंने चारज्ञानोंको धारण करके समस्त कर्मोको क्षय करने के लिये कमर कसी थी, जिनको उपद्रवोंका सामना करके ही कोका क्षय करना था और जो इसी अभिप्रायसे ही ऐसे प्रसंगोंको प्राप्त करते थे, उन परमात्माकी हम जैसे पामर जीव क्या अनुकंपा कर सकते हैं ?। क्या तेरापंथियोंको इस बातका ख्याल ही नहीं है कि-तीर्थंकर देव किसीकी अपेक्षा नहीं करते हैं ?। क्या तेरापंथियोंने यह कभी पढा है कि-जिस समय परमात्मा महावीर देवको उपसर्ग होने लगे,