Book Title: Terapanthi Hitshiksha
Author(s): Vidyavijay
Publisher: Abhaychand Bhagwan Gandhi

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Page 177
________________ to... ... ... ... ... ... ... कहिये, माता-पुत्री-बोमें क्योंकर भेद मनाया है ? ऐसे देखो अजब मजबने जगमें गजब मचाया है ॥ ७८ नाम मात्रके ही लेनेसे, इष्ट-सिद्धि क्या होती है ? _ नाम रटो दिनभर लड्डका भूख नष्ट क्या होती है ? । नाम-मूर्ति इन दोनोंसे ही कार्यसिद्ध दिखलाया है, ___ ऐसे देखो अजब मजबने जगमें गजब मचाया है ॥ ७९ साधु कदाचित् पघड़ी पहने, क्या वह साधु कहावेगा ? ___साधु मानते लोक वेषसे, नहिं तो 'गेही होवेगा। नहीं मूर्ति, तो है क्या यह भी ? क्यों कुलको लजवाया है, ऐसे देखो अजब मजबने जगमें गजब मचाया है । जिनसूत्रोंको 'प्रभुवाणी' कहते हैं, इसको भी देखो, प्रभुवाणी तो चली गई, अब बनी मूर्ति उसको पेखो। फिर भी प्रतिमाको नहि माने, पोलंपोल चलाया है, ऐसे देखो अजब मजबने जगमें गजब मचाया है ॥ प्रतिमामें यह शक्ति रही है, परिणामों बदलानेकी, जैसे चिंत्रित वनिताओंमें, 'इससे न वहाँ रहनेकी । आज्ञा तीर्थकरने दी है। यह मनमें न जचाया है, ऐसे देखो अजब मजबने जगमें गजब मचाया है । १ गृहस्थ । २ स्त्रियों के चित्रोंमें । ...........no.mo......... - (१९)

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