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'भीभाराजिममाडाका' की माला नित्य फिराते हैं। इसी तरहसे सबकुछ फेरा, यह पाखंड बढ़ाया है,
देखो ऐसे अजब मजबने, अपना जन्म गाया है।
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'करो कभी मत संगत इसकी,' अन्तिमकी यह शिक्षा है,
'मानो मेरा वचन हृदयसे,' बस, यह मेरी भिक्षा है । स्नेहिमित्रको शतक सुनाओ, जो इस मतमें चलता है,
सेवो दान-क्या-जिनप्रतिमा, जिससे पाप पिगलता है।
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मुझमें जरा नहि शक्ति है, पद जोड़नेकी भी सही, ____ भाषा न हिन्दी जानता, फिर और क्या कहना यही! तो भी कृपासे धर्मगुरुकी, भाव अंतर जो भरे,
व्यक्त कर, उनको जगत्के सामने विद्याधरे ।
गुपाहाव (राज.) जेन ज्ञान भंडार श्री जैन पोरवाल पंच
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१ भीखम, मारमल, रायचंद जीतमल, मघराज, माणकचन्द, डालचंद और कालुराम, इन आठोंके आद्यक्षरोंको मिलाकर तेरापंथी लोग माला फिराते हैं। ()
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