Book Title: Terapanthi Hitshiksha
Author(s): Vidyavijay
Publisher: Abhaychand Bhagwan Gandhi

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Page 178
________________ no...0.00000000000000.ron. ८२ * अब कुछ सुनो मजेकी बातें, जो है चूरणकी गोली, देकर, मित्रो ! खतम करुं बस, इतनेमें इसकी होली। वेष और आचार इन्होंने, शास्त्रविरुद्ध रखाया है, देखो ऐसे अजब मजबने, अपना जन्म गमाया है ॥ जैनीका तो नाम धरावें, नहीं जैनका लेश रहा, आचारोंको छोड़, वेषको तोड़, दैत्यका रूप धरा । मैले कपड़े रक्खें, मानो तेली राजा आया है, देखो ऐसे अजब मजबने, अपना जन्म गमाया है । मुखपर पाटा बांधा, लंबा पूंछ बगलमें मारा है, कपड़ेकी गाती बांधी, यह देखो भील गँवारा है। नहीं वेष मुनियोंका है यह, अपने आप घराया है, देखो ऐसे अजब मजबने, अपना जन्म गमाया है ॥ शास्त्रोंमें नहि यह फरमाया:- मुखपर पाटा बांधो तुम', साफ साफ तो यही कहाः-'जब बोलो यतना रक्खो तुम।' . कहा इसीमें धर्म 'वीरने, क्यों इसको न मनाया है ? देखो ऐसे अजब मजबने, अपना जन्म गमाया है ॥ १ महावीरस्वामीने। +000000000000rso.. (२०) ()

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