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॥ अहम् ॥
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Yogesge
॥ परमगुरुश्रीविजयधर्मसूरिभ्यो नमः ॥
शिक्षा-शतक.
मित्रो! देखो एक जगत्में ऐसा पंथ निराला है, __माने नहि कुछ धर्म-कर्म, मन मानी मौज उडाता है। चेतन-जडका भेद न जाने, शास्त्र कुशस्त्र बनाया है, • ऐसे तेरापंथ मजबने जगमें गजब मचाया है ॥
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सुनो सर्व सिद्धान्त इसीका, सार सार दिखलाता हूँ,
नहीं लेखिनी माने तो भी, हृदय कठोर बनाता हूँ। दया दानका मूल उखाड़ा, प्रतिमा पत्थर माना है,
ऐसे तेरापंथ मजबने, जगमें गजब मचाया है ।।
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जो अनुकंपा मानी जगने, उससे भी मुख मोडा है, .
सावध-निरवद्य भेद दिखाकर, रास भयंकर जोड़ा है।
१ तेरापंथ मतके उत्पादक भीखमीने, 'अनुकंपा रास' बनाया है, जिसमें निर्दयताको ये सब बातें लिखी हुई है।