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श्रावक-श्रावकको न खिलावे, इसको धर्म बताया है। “ दीन-दुखीको कुछभी नहि दे, यह श्रावक कहलाया है," . ऐसे तेरापंथ मजबने, जगमें ढोंग मचाया है।
. ४८ एकेन्द्रियादि भेद दिखाये जीवोंके, जो सूत्रोंमें,
पुण्य-पाप भी भिन्न बताये, जीने-मरने दोनोंमें । नहीं मानकर इन भेदोंको, सबको सम समझाया है, __ऐसे तेरापंथ मजबने, जगमें ढोंग मचाया है ॥
नहीं समझमें आता मुझको, क्यों वे रोटी खाते हैं ? __इसके बदले बडे अजोंको, क्यों वे नहीं उडाते हैं ?। पाप लगेंगे दोनोंमें सम, कारण, यही मनाया है,
ऐसे तेरापंथ मजबने, जगमें ढोंग मचाया है ।
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'जीव मारकर जीव न रखना, ' यह जो बात बनाते हैं, __ आवे यद्यपि सांढ सामने, कैसे भागे जाते हैं ?। 'क्या भगनेमें जीव न मरते ?,' फिर भी झूठ बताया है,
ऐसे तेरापंथ मजबने, जगमें ढोंग मचाया है।
दया दयाका नाम पुकारें, दया किसीकी नानी है ?
दया रही अंतर ही घटमें नहीं, बडा वह पापी है,।
१ बकरोंको। ..........more.ro..mo...
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