Book Title: Terapanthi Hitshiksha
Author(s): Vidyavijay
Publisher: Abhaychand Bhagwan Gandhi

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Page 161
________________ 0000000rerno...mo.mo. " किसी गृहस्थका घर जलता है, उसमें बहुत मनुष्य भरे, किलबिल किलबिल वे करते हैं, हाय मरे! रे हाय मरे। पर मत खोलो किंवाढ उसका, " ऐसा धर्म मनाया है, ऐसे तेरापंथ मजबने, जगमें गजब मचाया है । " गाडा नीचे बच्चा आवे, उसको भी न उठाओ कोई, मरता हो तो मरने दो, चिंता न करो जीनेकी कोई। जीना-मरना कभी न चाहो" यह सिद्धान्त दिखाया है, __ ऐसे तेरापंथ मजबने, जगमें गजब मचाया है। * " साधु-संतको किसी दुष्टने आकर फांसी दीनी है, __भोगन दो उसको वह अपनी, जैसी करणी कीनी है। मत खोलो फांसी उसकी तुम, " ऐसा ज्ञान कराया है, ऐसे तेरापंथ मजबने, जगमें गजब मचाया है ॥ - "जाडेसे मरते को मत दो, कपडेका टुकडा तुम एक, " “ भूखोंको मत अन्न खिलाओ, एसी मनमें रक्खो टेक" ! () ऐसी दया प्ररूपी जिसने, क्या क्या नहि दिखलाया है ? ऐसे तेरापंथ मजबने, जगमें गजब मचाया है ॥ १२ " कोई मारे जीव मार्गमें, पैसा दे मत छूडाओ," ...000000000000000000000......

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