Book Title: Terapanthi Hitshiksha
Author(s): Vidyavijay
Publisher: Abhaychand Bhagwan Gandhi

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Page 160
________________ 0000000000000000000000 सूत्रोंमें नहि भेद दिखाया, अपने आप जमाया है, ऐसे तेरापंथ मजबने, जगमें गजब मचाया है । * जो विल्ली चूहेको पकड़े, उसे नहीं छोड़ाता है, . बिल्लीको उसमें दुख माने, निर्दयभाव बढ़ाता है। नहीं समझते ही 'दुख देना', किसका नाम कथाया है ? ऐसे तेरापंथ मजबने, जगमें गजब मचाया है । " पानीके विण तड़फ रहा जन, आकुल-व्याकुल होता हो, हाय हायरे! बाप मुआ! बोले मुझको कोई जल दो। __ नहि देना उसको भी पानी," ऐसा मत मन-माना है, ऐसे तेरापंथ मजबने, जगमें गजब मचाया है। “पानी देकर उसे बचावें, तो पापोंको सेवेगा, अन्न खायगा, जल पीएगा, फिर विषयोंको सेवेगा । वे सब हमको पाप लगेंगे, हमने क्योंकि बचाया है, ऐसे तेरापंथ मजबने, जगमें गजब मचाया है ॥ ܀܀܀ “ जिस वाडेमें गौएं रहतीं, उस वाडेमें आग लगी, मत खोलो फाटक उसकी तुम, कारण गौएं जीएंगी। जीकर वे तो पाप करेंगी, " यह उपदेश सुनाया है, ऐसे तेरापंथ मजबने, जगमें गजब मचाया है ॥ ܀܀܀ ܀܀܀ (२)

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