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द्वितीय अध्याय
सम्यक्त्व आदि गुणों में सम्भावित भाव
चारित्र
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सम्यक्त्व
औपशमिक क्षायिक क्षायोपशमिक
क्षायिक
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अव्याप्ति
जैसे- जीव का लक्षण
केवलज्ञान
औपशमिक क्षायिक
देश संयम
(5वें गुणस्थानवर्ती व्रती श्रावक )
अतिव्याप्ति
जीव का लक्षण
अमूर्तिक
ज्ञान, दर्शन, वानादि 5 लब्धि
उपयोगो लक्षणम् ॥8॥
सूत्रार्थ - उपयोग जीव का लक्षण है || 8 || लक्षणाभास ( सदोष लक्षण)
क्षायोपशमिक
सकल संयम
(6-7वें गुणस्थानवर्ती मुनिराज )
क्षायोपशमिक
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असम्भव
जीव का लक्षण स्पर्श, रस, गंध, वर्ण
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