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नारकी
नपुंसक
गर्भज
3 वेद
उपपाद जन्म
↓
देव,
देव
पुरुष, स्त्री
नारकी
द्वितीय अध्याय
वेद
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सम्मूर्च्छन
J
नपुंसक
गर्भज
↓
मनुष्य
कर्मभूमि भोगभूमि
सम्मूर्छन
स्त्री
3 वेद
नपुंसक पुरुष
एकेन्द्रिय से चौइन्द्रिय तक सभी सम्मूर्च्छन जन्म वाले होने से नपुंसक ही हैं। औपपाविकचरमोत्तमदेहाऽसंख्येयवर्षायुषो ऽनपवर्त्यायुषः ||53|| सूत्रार्थ - उपपाद जन्मवाले, चरमोत्तम देहवाले और असंख्यात वर्ष की आयुवाले जीव अनपवर्त्य आयुवाले होते हैं । । 53।।
तिर्यंच
/ म्लेच्छ खण्ड ↓ स्त्री, पुरुष
कर्मभूमि भोगभूमि
अनपवर्त्य आयु (परिपूर्ण आयु भोग कर मरण होना)
पंचेन्द्रिय एकेन्द्रिय 7 विकलेन्द्रिय
नपुंसक
चरमोत्तम देह
↓ उसी भव से मोक्ष जाने वाले
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असंख्यात वर्ष आयु
↓
भोगभूमिया मनुष्य और तिर्यंच
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