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पञ्चम अध्याय
89 आ आकाशादेकद्रव्याणि।।6।। सूत्रार्थ - आकाश तक एक-एक द्रव्य हैं।।6।
निक्रियाणि च।।7।। सूत्रार्थ - तथा निष्क्रिय हैं।।7।।
छह द्रव्य | नाम जीव युद्गल | धर्म अधर्म आकाश - काल स्वरूप उपयोग जिसमें जीव व जीव व सभी को | सभी को
स्पर्श, पुद्गलों पुद्गलों अवकाश में | परिणमन रस, गंध को गमन को सहकारी | में
व वर्ण | में ठहरने में | सहकारी • पाए जाएँ | सहकारी सहकारी
द्रव्य अर्थात् (गुणों का | समूह) | अजीव द्रव्य (जिसमें चेतना न हो) काय (बहुप्रदेशी) अजीवकाय (दोनों) |
नित्य
।
|(कभी नष्ट | न हो) । अवस्थित (संख्या कम । ज्यादा न हो)
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