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नवम अध्याय
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निर्जरा प्रकरण
अनशनावमौवर्यवृत्तिपरिसंख्यानरसपरित्यागविविक्तशय्यासन
कायक्लेशा बाह्यं तपः।।19।। सूत्रार्थ - अनशन, अवमौदर्य, वृत्तिपरिसंख्यान, रसपरित्याग, विविक्तशय्यासन
और कायक्लेश - यह छह प्रकार का बाह्य तप है।।19।।
तप
1
व्यवहार तप
निश्चय तप शुद्धात्म स्वरूपमें प्रतपन
बाह्य तप
आभ्यंतर तप * बाह्य द्रव्य के अवलम्बन से होते हैं * बाह्य द्रव्य की अपेक्षा नहीं रहती है * दूसरों को दिखते हैं * मानसिक क्रिया की प्रधानता रहती है * बाह्य तप आभ्यंतर तप की पुष्टि * आभ्यंतर तप वीतरागता की वृद्धि .. के लिए हैं
के लिए हैं
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