Book Title: Tattvartha Sutra
Author(s): Puja Prakash Chhabda
Publisher: Jain Sanskruti Samrakshak Sangh Solapur

View full book text
Previous | Next

Page 238
________________ 215 वसवाँ अध्याय कर्म का अभाव (क्षय) यत्नसाध्य(145) अयत्नसाध्य(3) चरमदेह वाले के इनका सत्त्व ही नहीं * नरकायु *तिर्यंचायु * देवायु उत्तर प्रकृतियाँ मूल प्रकृति गुणस्थान प्रकृति संख्या 4 से 77 किसी 4 चारित्र मोहनीय | - अनंतानुबंधी 4 कषाय 3 दर्शन मोहनीय | -मिथ्यात्व, मिश्र,सम्यक्त्व प्रकृति | एक में 16 3 दर्शनावरण 13 नाम कर्म 8 | चारित्र मोहनीय | - 3 बड़ी निद्रा - नरक गति, नरक गत्यानुपूर्वी, तिर्यंच गति, तिर्यंच गत्यानुपूर्वी, एकेन्द्रियादि 4 जाति, सूक्ष्म, । साधारण, स्थावर, आतप, उद्योत - अप्रत्याख्यानावरण, प्रत्याख्यानावरण 8 कषाय - नपुंसक वेद - स्त्रीवेद - नो कषाय - पुरुष वेद - संज्वलन क्रोध - संज्वलन मान - संज्वलन माया 361 Jain Education International For Personal & Private Use Only www.jainelibrary.org

Loading...

Page Navigation
1 ... 236 237 238 239 240 241 242 243 244 245 246 247 248 249 250 251 252 253 254 255 256 257 258