Book Title: Tattvartha Sutra
Author(s): Puja Prakash Chhabda
Publisher: Jain Sanskruti Samrakshak Sangh Solapur

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Page 253
________________ 230 203 प्रथम पाठ जघन्य अंतर्मुहूर्त का प्रमाण1 आवलि 1 समय (गोम्मटसार जीवकाण्ड, संस्कृत टीका जीवतत्त्व प्रदीपिका - गाथा 575) 208 होता है 206 धर्म्यध्यान कौन से गुणस्थान में होता है - यथायोग्य 4 से 10 में 4 (वृहद् द्रव्य संग्रह-गाथा 48 श्री ब्रह्मदेव कृत संस्कृत टीका) पृथक्त्व वितर्क वीचार शुक्ल 78 | ( हाथ में)स्वर्ग 8 से 11 में 11 में (धवला जी - पुस्तक 13, (वृहद् द्रव्य संग्रह- गाथा 48 श्री ब्रह्मदेव कृत संस्कृत टीका) पृष्ठ 78) सौधर्मादि सोलह स्वर्गो के देवों के शरीर की उत्कृष्ट ऊँचाई 7 सौधर्म - ऐशान सानत्कुमार- माहेन्द्र 6 बह्म-ब्रह्मोत्तर लांतव- कापिष्ठ | शुक्र- महाशुक्र | शतार-सहस्रार आनत-प्राणत आरण-अच्युत सर्वार्थसिद्धि अध्याय 4, सूत्र 21 Jain Education International आवली का एक असंख्यात भाग (यह पाठ भी वहीं दिया है) 5 4 4 3.5 (धवला जी-पुस्तक 13, पृष्ठ 74) ध्यान कौन से गुणस्थान में - त्रिलोकसार तिलोयपण्णत्ती गाथा 543 गाथा 565 7 6 5 5 4 3.5 3 3 For Personal & Private Use Only 7 व 6 5 व 4 3.5 3.5 3.5 55 3.5 3 3 www.jainelibrary.org

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