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गुणव्रत (अणुव्रतों का उपकार करे)
दिग्विरति
देशविरति
* पूर्वादि 10 दिशाओं * ग्रामादिक की
में प्रसिद्ध चिह्नों के
निश्चित काल
के लिए
मर्यादा करना
द्वारा जीवनपर्यंत
की मर्यादा करना
सप्तम अध्याय
7 शीलव्रत
सामायिक व्रत प्रोषधोपवास व्रत *समस्त पाप योग *पर्व के दिनों में
क्रिया व राग-द्वेष सकल आरम्भ,
का त्याग, साम्यभाव विषय - कषाय को प्राप्त हो शुद्ध आत्मस्वरूप में
लीन होना
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व आहार का त्याग करना
आदि के वचन
शिक्षाव्रत (मुनिव्रत पालन की शिक्षा मिले)
अनर्थदण्ड विरति
*उपकार न होकर जो
प्रवृत्ति केवल पाप का
कारण है, उसका
त्याग करना
उपभोगपरिभोग
परिमाण व्रत
न्यायरूप उपभोग
अनर्थदण्ड
अपध्यान
पापोपदेश
प्रमादचरित
* दूसरे की जय - प्राणियों के बिना प्रयोजन पराजय, मृत्यु हिंसा के कारण के पाप आदि कैसे हो, भूत वाणिज्य कार्य करना
ऐसा मन में का प्रसार करने
विचार करना वाले आरम्भ
परिभोग में काल
की मर्यादा लेकर
त्याग करना
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अतिथि
संविभाग व्रत
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हिंसा के
उपकरणों
को प्रदान
करना (देना)
मोक्ष उद्यमी के
लिए अपने
भोजन, धनादि का विभाग
करना
हिंसाप्रदान अशुभश्रुति
हिंसा व राग
आदि को
बढ़ाने वाली
कथा का सुनना
व शिक्षा देना
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