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चक्षु *नेत्रजन्य मति
ज्ञान से पहले
अष्टम अध्याय
दर्शन
अचक्षु नेत्र के सिवाय
अचक्षु दर्शन
शेष इन्द्रियों व
मन संबंधी मति
ज्ञान से पहले,
| अल्पज्ञ (छद्यस्थ)
*दर्शन पहले फिर ज्ञान
_*क्रमशः
*क्षायोपशमिक
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अवधि
अवधिज्ञान
से पहले
होने वाला सामान्य प्रतिभास
यहाँ 4 दर्शन बताए हैं, ऊपर इनको आवरण करने वाले .4 दर्शनावरण कर्म जानना ।
दर्शन - ज्ञान का व्यापार
केवल
*युगपद् * क्षायिक
सर्वज्ञ (केवली)
*दर्शन और ज्ञान साथ में
मन:पर्ययज्ञान उत्पत्ति क्रम
→ मन:पर्यय ज्ञान
→ ईहा मतिज्ञान मन:पर्यय दर्शन न होने से उसे आवरण करने वाला कर्म भी नहीं होता है।
केवलज्ञान के साथ
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