Book Title: Tattvartha Sutra
Author(s): Puja Prakash Chhabda
Publisher: Jain Sanskruti Samrakshak Sangh Solapur
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नवम अध्याय - सूक्ष्मसाम्परायछद्मस्थवीतरागयोश्चतुर्दश।।10।। सूत्रार्थ - सूक्ष्मसाम्पराय और छद्मस्थवीतराग के चौदह परीषह सम्भव हैं।।10।।
एकादश जिने||11॥ सूत्रार्थ - जिन में ग्यारह परीषह सम्भव हैं।।11।।
बादरसांपराये सर्वे।।12।। सूत्रार्थ - बादरसाम्पराय में सब परीषह सम्भव हैं।।12।।
कहाँ कौन-सा परीषह सम्भव है कहाँ गुणस्थान कौन-सा परीषह
क्रमांक बादर कषाय | छठे से नवाँ सब
| 22 | सभी 4 | सूक्ष्म कषाय | दसवाँव । क्षुधा, तृषा, शीत, उष्ण 14 ज्ञानावरण-2 व वीतराग | ग्यारवें- | दंशमशक, चर्या, शय्या . अंतराय-1 छद्मस्थ बारहवें वध, अलाभ, रोग, तृण- वेदनीय-11
स्पर्श, मल, प्रज्ञा, अज्ञान केवली जिनं | तेरहवें ऊपर की 14 में से प्रज्ञा 11 | वेदनीय
अज्ञान, अलाभ नहीं
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