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पञ्चम अध्याय
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न जघन्यगुणानाम्।।34।। सूत्रार्थ - जघन्य गुणवाले पुद्गलों का बन्ध नहीं होता।।34।।
गुणसाम्ये सदृशानाम्।।35।। सूत्रार्थ - गुणों की समानता होने पर तुल्य जाति वालों का बन्ध नहीं होता।।35।।
व्यधिकादिगुणानां तु।।36।। सूत्रार्थ - दो अधिक आदि शक्त्यंश वालों का तो बन्ध होता है।।36।।
परमाणुओं का बंध
किनका नहीं होता है?
कब होता है? किनका होता है?
* जघन्य गुण * स्निग्धता व रूक्षता * 1. स्निग्ध का स्निग्ध से (अविभाग प्रतिच्छेद) के कारण 2. रूक्ष का रूक्ष से वाले पुद्गलों का * दो अधिक गुण 3. स्निग्ध का रूक्ष से * साम्य (समान) . होने पर ही गुणवालों का
बन्धेऽधिको पारिणामिको च||37॥ सूत्रार्थ - बन्ध होते समय दो अधिक गुणवाला परिणमन कराने वाला होता है।।3।।
बंध होने पर
→
कम गुण वाले परमाणु
अधिक गुण रूप परिणत हो जाते हैं।
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