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षष्ठ अध्याय
भूतव्रत्यनुकम्पादानसरागसंयमादियोगः क्षान्तिः शौचमिति
सवेद्यस्य।।12।। सूत्रार्थ - भूत-अनुकम्पा, व्रती-अनुकम्पा, दान और सरागसंयम आदि का .
योग तथा क्षान्ति और शौच - ये सातावेदनीय कर्म के आस्रव हैं।।12।।
साता वेदनीय
अनुकम्पा दान सरागसंयम आदि क्षान्ति शौच (दूसरे की पीड़ा (निज व पर (राग 1. संयमासंयम (शुभ (शुभ .. को अपनी के उपकार के सहित 2. बाल तप परिणामों परिणाम मानना) लिए अपनी संयम) 3. अकाम- की भावना पूर्वक वस्तु का
निर्जरा पूर्वक लोभ का अर्पण)
क्रोधादि त्याग) दोषों का
निराकरण) किसके प्रति
व्रती . (प्राणी मात्र) (अणुव्रत या महाव्रत से युक्त)
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