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षष्ठ अध्याय
विघ्नकरणमन्तरायस्य। । 27 ।।
सूत्रार्थ - दानादिक में विघ्न डालना अन्तराय कर्म का आस्रव है ।। 27 ।।
अन्तराय
दान
(निज व पर
के उपकार
के लिए देना)
इनमें बाधा डालना
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लाभ
भोग
उपभोग
( फायदा) (जो एक बार ( जो बार -
भोगा जाए)
भोगा जाए)
कु
र- बार
वीर्य
(बल)
"इस अध्याय सम्बन्धी विशेष जानकारी के लिए परिशिष्ट देखें। "
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