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द्रव्य आस्रव (पौद्गलिक कर्मों का आना)
भाव योग
(कर्म - नोकर्म को ग्रहण करने की जीव की शक्ति
विशेष)
कायवाङ्मनः कर्मयोगः ।। 1 ।। सूत्रार्थ - काय, वचन और मन की क्रिया योग है ।। 1 ।।
योग
षष्ठ अध्याय
आसव
4 मनोयोग
स्वभाव पर्याय
भाव आस्रव
(आत्मा के मोह, राग, द्वेषरूप विकारी भाव)
निमित्त अपेक्षा योग के भेद
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द्रव्य योग (आत्मप्रदेशों में परिस्पन्दन (कम्पन)) इसमें निमित्त
मन, वचन, काय की क्रिया (चेष्टा)
4 वचन योग
योग गुण
113
7 काययोग = कुल 15
विकारी पर्याय
सकम्प अवस्था
निष्कम्प अवस्था (सिद्धों और 14वें गुणस्थान में ) ( पहले से तेरहवें गुणस्थान तक)
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