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षष्ठ अध्याय
स आस्रवः॥2॥ सूत्रार्थ - वही आस्रव है।।2।।
आसव का स्वरूप - (कर्मों का आना)
उपादान भाव योग
कार्य द्रव्य योग
निमित्त फल मन,वचन,काय द्रव्यास्रव- ..
की चेष्ट कर्मों का आना अथवा
कारण (निमित्त)
द्रव्य योग जैसे - नाव में जल आने का छिद्र
कार्य कर्मों का आना जैसे - जल का आना
शुभः पुण्यस्याशुभः पापस्य ।।3।। सूत्रार्थ - शुभयोग पुण्य का और अशुभयोग पाप का आस्रव है।।3।।
योग के निमित्त से आसव में भेद
पुण्यास्रव
पापासव
कारण→ शुभ योग (शुभ परिणामों अशुभ योग (अशुभ परिणामों के निमित्त से)
के निमित्त से) । काय वचन मन काय वचन मन जैसे- -प्राणीरक्षा -सत्यकथन -दूसरे का -प्राणीहिंसा -असत्य -मारने का
-पूजा -उपदेश भला सोचना -चोरी -कटुवचन विचार -स्वाध्याय -स्तुति -पंच परमेष्ठी -मैथुन -असभ्यवचन -ईर्ष्या
का चिंतन
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