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पञ्चम अध्याय
| पुद्गल बंध से जीव बंध की तुलना
होता
स्निग्धता और रूक्षता के कारण | राग(स्निग्ध) और द्वेष(रूक्ष) के कारण जघन्य गुण रूप परमाणु का बंध नहीं| *जघन्य (एक) गुण - आत्मा का एकत्व
होने पर बंध नहीं *सूक्ष्म लोभ (जघन्य राग)से
मोहनीय का बंध नहीं बंध होने पर अधिक गुण (शक्ति) | *लोक में भी अधिक गुणों वाले व्यक्ति रूप परिणमन
के संयोग से ऊँचे (गुण) रूप परिणमन होता है और हीन गुण वाले व्यक्ति के संयोग से हीन परिणमन होता है।
नही
गुणपर्ययवद्रव्यम्।।38॥ सूत्रार्थ - गुण और पर्याय वाला द्रव्य है।।38।। द्रव्य का अन्य प्रकार से लक्षण
गुण- पर्यायवान
* जो द्रव्य के सभी हिस्सों और सभी * जो उत्पन्न और नष्ट हो अथवा हालतों में पाया जाए गुणों के विकार (विशेष कार्य) * ध्रौव्य रूप
* उत्पाद-व्यय रूप * अन्वयी- बने रहना (वही का वही) * व्यतिरेकी - बदलना (भिन्न-भिन्न) * सहभावी पर्याय
* क्रमवर्ती पर्याय
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