________________
पञ्चम अध्याय
91
. असंख्येयाः प्रदेशा धर्माधर्मकजीवानाम्।।४।। सूत्रार्थ - धर्म, अधर्म और एक जीव के असंख्यात प्रदेश हैं।।8।।
आकाशस्यानन्ताः॥9॥ सूत्रार्थ - आकाश के अनन्त प्रदेश हैं।।9।।
संख्येयाऽसंख्येयाश्च पुद्गलानाम्॥10॥ सूत्रार्थ - पुद्गलों के संख्यात, असंख्यात और अनन्त प्रदेश हैं।।10।।
नाणोः।।11॥ सूत्रार्थ - परमाणु के प्रदेश नहीं होते।।11।।
जीव असंख्यात (एक जीव)
आकाश । काल
अनंत | एक
द्रव्यों के प्रदेश
(उनका नाप) । पुद्गल धर्म | अधर्म
* अणु असंख्यात असंख्यात | अवस्था '- एक . | * स्कंध | अवस्था
- संख्यात |-असंख्यात - अनंत
प्रदेश = आकाश के जितने हिस्से को एक पुद्गल परमाणु रोके।
Jain Education International
For Personal & Private Use Only
www.jainelibrary.org