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तृतीय अध्याय तद्विभाजिनः पूर्वापरायता हिमवन्महाहिमवन्निषधनीलरुक्मि
शिखरिणो वर्षधरपर्वताः।।11।। सूत्रार्थ - उन क्षेत्रों को विभाजित करने वाले और पूर्व-पश्चिम लम्बे ऐसे
हिमवान, महाहिमवान, निषध, नील, रुक्मी और शिखरी - ये छह वर्षधर पर्वत हैं।।11।।
हेमार्जुनतपनीयवैडूर्य्यरजतहेममयाः।।12।।.. सूत्रार्थ - ये छहों पर्वत क्रम से सोना, चाँदी, तपाया हुआ सोना, वैडूर्यमणि,
चाँदी और सोना इनके समान रंगवाले हैं।।12।।
मणिविचित्रपार्खा उपरि मूले च तुल्यविस्ताराः।।13।। सूत्रार्थ - इनके पार्श्व मणियों से चित्र-विचित्र हैं तथा वे ऊपर, मध्य और मूल
में समान विस्तारवाले हैं।।13।।
पर्वत/कुलाचल
नाम रंग हिमवन | सोना
लम्बाई
पूर्व से पश्चिम
आकार । चौड़ाई । विशेषः । दीवार ऊपर,
आजू-बाजू की भाँति
| में विचित्र मूल में । | मणियों से एक जैसा | जड़ा हुआ
नीचेव
महा हिमवन
चाँदी
समुद्र
निषध
तक
नील
तपाया हुआ सोना वैडूर्य नील
मणि रुक्मि । शिखरी | सोना
चाँदी
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