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तृतीय अध्याय
___51 जम्बूद्वीपलवणोदादयः शुभनामानो द्वीपसमुद्राः।।7।। सूत्रार्थ - जम्बूद्वीप आदि शुभ नाम वाले द्वीप और लवणोद आदि शुभ नाम
वाले समुद्र हैं।।7।।
द्विर्द्धिर्विष्कम्भाः पूर्वपूर्वपरिक्षेपिणो वलयाकृतयः।।8।। सूत्रार्थ - वे सभी द्वीप और समुद्र दूने-दूने व्यासवाले, पूर्व-पूर्व द्वीप और समुद्र
को वेष्टित करनेवाले और चूड़ी के आकार वाले हैं।।8।।
मध्य (तिर्यक) लोक
कहाँ है ऊँचाई लम्बाई चौड़ाई निवास रचना (मेरु की (1 लाख (1 राजू) (1 राजू) * मनुष्य जड़ से 40 योजन).
* तिर्यंच मेरु की
* देव चूलिका तक)
(भवनवासी व्यंतर, ज्योतिषी)
4 कोने
असंख्यात द्वीप - समुद्र - एक - दूसरे को घेरे हुए हैं। - उत्तरोत्तर दूने - दूने व्यास वाले हैं। - सभी शुभ नाम वाले हैं।
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