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सुरजकुंड सोहामणो, कवड जक्ष अभिराम। नाभिराया कुलमंडणो, जिनवर करुं प्रणाम ॥ ३ ॥
श्री मंदिरजी में जानेकी विधि प्रथम घर से शुद्ध वस्त्र पहिन कर साथ में चावल, बादाम, मिश्री, लड्डू, फल वगैरह नैवेद्य लेकर " निसिही" कह कर मंदिर के पास पहुंचना चाहिये, वहां पहुंच कर दूसरी “ निसिही" कह कर मंदिर में प्रवेश करे, फिर तीसरी “निसिही" कह कर श्री भगवानके मूल गंभारा से तीन प्रदिक्षणा दे के फिर भावना के लिये यह पढ़े। हे प्रभो ! आनन्ददाता, ज्ञान हमको दीजये ।
शीघ्र सारे दुर्गुणोंसे, दूर हमको कीजिये ।। लीजिये अपनी शरण में, हम सदाचारी बनें ।
ब्रह्मचारी धर्मरक्षक, वीर व्रतधारी बने ॥ १॥* फिर पाट या पाटीया के उपर अक्षत याने चावल से त्रण ज्ञान, दर्शन, चरित्र छोटी ढगलीयें कर के नीचेके भाग में एक साथीया कर के उपर के आकार में चन्द्रमाकी तरह सिद्धशिला मँडाण मांड लेवे, जैसे नीचे दीये हुवे मुजब ।
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* नोट-विशेष उपर स्तुतीएं दी गई है।
स्तवनमंजरी
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