________________
Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra
www.kobatirth.org
Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir
नाम न इनका भूलाना, परमानन्द पद पाना ॥ ४ ।। ओसियां मण्डल अर्ज करत हैं, धन इनका नित्य ध्यान धरता है । सब इनके गुण गाना, परमानन्द पद पाना ॥ ५ ॥
गायन नं. ५१
( तर्ज-गजल ) तेरे दरसन के देखे. से मुझे आराम होता है । टेर ॥ दरस मोही दीजीए प्रभुर्जी, दरस बिन दिल तरसता है। अंधेरी रैन में जैसे, चांदनी का उजाला हैं । तेरे॥१॥ मेरे महाराज शुभ ध्यानी, बिच मंदिर के बसत हैं । उन्हों के कानों की मोती, जलाजलसा चमकता हैं ॥ २ ॥ कहूँ कछु और करुं कछु, और यही जंजाल होता है। यही सच बात साधन की, सरासर काम होता है ॥३॥
गायन नं. ५२
( तर्ज-कच ली ) बिना दर्सन किये तेरा, नहिं दिल को करारी हैं। चुरा के ले गयी मनको, प्रभु सुरत तुम्हारी है ॥ टेर ॥ न कलपाओ दया लावो, हमें निज पास बुलवाओ । सहाजाता नहीं अब तो, विरह का बोझ भारी है ।। बिना ॥१॥ ज्ञान से ध्यान से तेरा, न सानी रूप दुनियां में । फिदा हो प्रेम में तेरे, उमर सारी गुजारी हैं ॥ २ ॥ दया पूरण कष्ट चूरण, करो अब आश मम पूरण । मेहर की एक ही दृष्टि, हमें काफी तुम्हारी है ॥ ३ ॥ विमल है नाम
स्तवनमर्जरी
( ३९ )
For Private And Personal Use Only