Book Title: Stavan Manjari
Author(s): Amrutlal Mohanlal Sanghvi
Publisher: Sambhavnath Jain Pustakalay

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Page 58
________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir गायन नं. ८५ ( राग-तेरे पूजन को भगवान ) मेरे जीवन में भगवान, वसा है अंतर आलीशान | भंडार है तेरा प्रेम अखूट, मेरे जीवन में भगवान ॥टेर ॥ सोई जगावे तेरी मुरत, जिसने पेखी तेरी सुरत । साचे मन में प्रभु हय मेरा, मेरे जीवन में भगवान ॥ १ ॥ भविक तेरी तान खीलावे, भज मन तेरे गान खीलावे । पूज के तेरी प्रीत कोपावे, मेरे जीवन में भगवान ॥ २ ॥ सुरत तेरी शान्त दीखावे, सुयश तेरे रूप हसावे । खूशबो तेरी सब को भावे, मेरे जीवन में भगवान || ३ ॥ गायन नं. ८६ उतार मेरे प्रभुजी भवजल से पार उतार ।। टेर ।। काल अनादि भटक्यो भवमाही, पाया है दुःख अपार । अपार मेरे ॥१॥ करुणाजनक दशा है मेरी, तेरी है दृष्टि उधार। उधार मेरे ॥२॥ जगवन दुःख दावानल दहके, सेवकको लीजो ऊंगार । ऊंगार मेरे ॥ ३ ॥ शीतल जिन शीतल अघ कर के, आतमवल्लभ उजार । उजार मेरे ॥ ४ ॥ इसी निसार जगत में तिलक को, आज्ञा है तुम्हारी सार । सार मेरे प्रभुजी ॥ ५॥ गायन नं. ८७ मन लाग्यु मारु लाग्यु प्रभु तारा ध्यानमां ॥ प्रभु० ॥ खान न सुझे, पान न सुझे तारा ध्यानमां । मान अने अपमान न पद्यमयमहावीर जीवन किं. ०-०-९ For Private And Personal Use Only

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