Book Title: Stavan Manjari
Author(s): Amrutlal Mohanlal Sanghvi
Publisher: Sambhavnath Jain Pustakalay

View full book text
Previous | Next

Page 59
________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir सूझे - तारा ध्यानमां ॥ मन ॥ १ ॥ तू प्रभु त्राता, शिवसुखदाता, तारी नामना | सुरवर नरवर, मुनिजन गुणीजन तारा ध्यानमां || २ || स्तवन पूजन, तेरी करिये स्वामी - पूरो कामना । शिवसुख आपो, भवदुःख कापो, रहिये ध्यानमां ॥ ३ ॥ गायन नं. ८८ राग - आशावरी - त्रिताल भजन मोहे पार करे भवजल से, भजन० || ढेर || श्रीशंखेश्वर गावत ध्यावत, आवत नाहीं दुःख मरतबा | कांठे आनंद भये हमरा सजीवन || भजन० ॥ प्रभु गुणको जो दिल से गावत, जावत कर्म का बंध जीयरवा । आत्मकमल प्रभु लब्धिसुमिलन || भजन || गायन नं. ८९ ( राग - मथुरामा खेल खेली आव्या ) वीर तारुं नाम व्हालुं लागे हो स्वाम, शिवसुखदाया ||टेर || क्षत्रियकुंडमां जन्म्या जिणंदजी । दिगुकुमरी हुलराया, हो स्वामी ॥ शिव ॥ १ ॥ माथाना मुगट छो, आंखोना तारा | जन्मथी मेरु कंपाया हो स्वाम || २ || मित्रोनी साथे रमत रमतां । देवे भुजंगरूप ठाया हो स्वाम || ३ || निर्भय नाथे भुजंग फेंकी । आमलक्रीडाने सोहाया हो स्वाम || ४ || महावीर नाम देवनाथे त्यां दधुं । पंडित विस्मय पाम्या हो स्वाम || ५ || चारित्र लइ प्रभु कर्मों हटाइ | केवलज्ञान प्रगटाया हो स्वाम ॥ ६ ॥ हिंसा ( ५६ ) स्तवन मंजरी For Private And Personal Use Only

Loading...

Page Navigation
1 ... 57 58 59 60 61 62 63 64 65 66 67 68 69 70 71 72 73 74