Book Title: Stavan Manjari
Author(s): Amrutlal Mohanlal Sanghvi
Publisher: Sambhavnath Jain Pustakalay

View full book text
Previous | Next

Page 62
________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir तिमिर को दूर किया, और ज्ञान का रोशन जगाय दिया। मिथ्या अंधेरा मेट दिया, उजियारा शिवपुरवालेने ॥ २ ॥ सदगुरुने ये उपदेश दिया, प्रभु नाम समर ले होत जिया । भव सिंधु से तर जावेगा, फरमादिया शिवपुरबालेने ॥ ३ ॥ हंसराज सदा वंदत चरणा, प्रभु नाम सदा संकट हरणा । सरणासे हो जावे तिरना, फरमादिया शिवपुरवालेने ॥ ४ ॥ गायन नं. ९५ ( तर्ज-काली कमलीवाले तुमपे लाखो प्रणाम ) सिद्धाचलना वासी जिनने क्रोडो प्रणाम ॥ टेर ॥ आदि जिनवर सुखकर स्वामी, तुम दर्शनथी शिवपद धामी । थया छै असंख्य, जिनने क्रोडो प्रणाम ॥ सिद्धा ॥ १ ॥ विमलगिरिना दर्शन करतां, भवो भवना तिमिर हरतां । आनंद अपार, जिनने क्रोडो प्रणाम ॥ २ ॥ हुँ पापी छं नीच गति गामी, कंचनगिरिनु शरणुं पाभी । तरशुं जरूर, जिनने क्रोडो प्रणाम ।। ३ ।। अणधार्या आ समयमां दर्शन, करतां हृदय थयु अति परसन । जीवन उज्ज्वल, जिनने क्रोडो प्रणाम ॥ ४ ॥ गोडी पार्श्व जिनेश्वरकेरी, करुण प्रतिष्ठा विनति घणेरी । दर्शन पाम्यो मानी, जिनने क्रोडो प्रणाम ॥ ५ ॥ संवत ओगणीश नेवू वर्षे, शुद पंचमी कर्या दर्शन हर्षे । मल्यो ज्येष्ठ शुभ मास, जिनने क्रोडो प्रणाम ।। ६॥ आत्म कमलमां सिद्धगिरि ध्याने, जीवन भळशे केवलज्ञाने । लब्धिसूरि शिवधाम, जिनने क्रोडो प्रणाम ।। ७ ॥ स्थापनाजी किं. ०-०-३ (५९) For Private And Personal Use Only

Loading...

Page Navigation
1 ... 60 61 62 63 64 65 66 67 68 69 70 71 72 73 74