Book Title: Stavan Manjari
Author(s): Amrutlal Mohanlal Sanghvi
Publisher: Sambhavnath Jain Pustakalay

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Page 55
________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir शिवपुर सो निहाल है । तेरा नाम रटन दिनरात किया ॥ ५ ॥ आत्म कमल लब्धि मिले, जिनराज हृदये आणीये । जिनराग से जीवन कटे, सो जीवन खूब वखाणीए । मेरे जीगर में जिनजी ने स्थान लिया ।। ६ । गायन नं. ७८ केसरियां थांसु प्रीति करी रे साचा भावसुं || ढेर || मधुकर मोहियो मालती रे, में मोहियो प्रभु नाम । अवर देवने नहिं नमुं मैं, भजुं अलख भगवान रे || केसरिया ॥ १ ॥ काला गोरा भैरव बिराजै, बटुक भैरव भारी । केइ केइ खंडित करवा आया, लली लेली नाठा हारीरे ॥ २ ॥ नाभिराजा मरुदेवी को नंदा, मुख पुनम को चंदा | पांच से धनुष सौवनमय काया, नगर अयोध्याना रायारे ॥ ३ ॥ भोजक गावे भावसुं रे, बडनगरी का बास । कालीदास करजोड़ कहे छे, जय जय त्रिलोकी नाथरे ॥ ४ ॥ गायन नं. ७९ पार्श्व प्रभु प्यारा वामा माता के हो तन || टेर || नाग उगारी नागेन्द्र बनायो । सुनावी मंत्र नवकार || पा० ॥ १ ॥ कमठे उपसर्ग कीनो है भारी । निश्चल रहे महाराज ॥ २ ॥ कर्म खपावी केवल पाई । तायें घणा नरनार ॥ ३ ॥ शुक्लध्यान में शिवपद पाया । ज्योति में मिले महाराज || ४ || ओसियां वीर जिन मंडली बोले । दीजो प्रभु शिवराज ॥ ५ ॥ ( ५२ ) स्तवनमंजरी For Private And Personal Use Only

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